दिल दहलाने देने वाला गौमाता का कड़वा सच
सदियों से अहिंसा का पुजारी भारतवर्ष आज हिंसक और मांस निर्यात
देश के रूप में उभरता जा रहा है|
यह बड़ी विडम्बना है
जहाँ हजारों गायें रोज कटती है|
हजार गौएँ , इससे दुगुनी भैसें तथा पड़वे काटे जाते है| इसका लगभग 20,000 टन मांस विदेशों में निर्यात होता है |
यह बड़ी विडम्बना है
जहाँ हजारों गायें रोज कटती है|
हजार गौएँ , इससे दुगुनी भैसें तथा पड़वे काटे जाते है| इसका लगभग 20,000 टन मांस विदेशों में निर्यात होता है |
गौमाता जो आजीवन हमें अपने दूध- दही- घी आदि से पोषित करती है| अपने इन सुंदर उपहारों से जीवनभर हमारा हित करती है| ऐसी गौमाता की महानता से अनभिज्ञ होकर मात्र उसके पालन-पोषण का खर्च वहन ना कर पाने के बहाने उन्हें कत्लखानों के हवाले करना विकास का कौन सा मापदंड है ? क्या गौमाता के प्रति हमारा कोई कर्त्तव्य नहीं है ?
क्या आप जानते हैं! जिस गौमाता की आप पूजा करते हैं,
उसे किस प्रकार निर्दयतापूर्वक मारा जाता है ?
कत्लखाने में स्वस्थ गौओं को मौत के कुँए में 4 दिन तक भूखा रखा जाता है| अशक्त होकर गिरने पर घसीटते हुए मशीन के पास ले जाकर उन्हें पीट-पीटकर खड़ा किया जाता है| मशीन की एक पुली (मशीन का पकड़नेवाला एक हिस्सा) गाय के पिछले पैरों को जकड़ लेती है | तत्पश्चात खौलता हुआ पानी 5 मिनट तक उस पर गिराया जाता है| पुली पिछले पैरों को ऊपर उठा देती है| जिससे गायें उलटी लटक जाती हैं| फिर इन गायों की आधी गर्दन काट दी जाती है ताकि खून बाहर आ जाये लेकिन गाय मरे नहीं | तत्काल गाय के पेट में एक छेद करके हवा भरी जाती है, जिससे गाय का शरीर फूल जाता है | उसी समय चमड़ा उतारने का कार्य होता है | गर्भवाले पशु का पेट फाड़कर जिन्दा बच्चे को बाहर निकला जाता है | उसके नर्म चमड़े को (काफ-लेदर) को बहुत महंगे दामों में बेचा जाता है|