प्राणायाम ध्यान की गुप्त बाते


प्राणायाम ध्यान की गुप्त बाते 



आप सभी को प्राणायाम - ध्यान और प्राणचिकत्सा के बारे में विस्तार से बताते है, 
सर्व प्रथम प्राणायाम, ध्यान व प्राण चिकत्सा  क्या है ? व कैसे करना चाइये?
प्राणायाम द्वारा प्राणशक्ति का आगमन करना या उसे बढ़ाना है | 

प्राणशक्ति  क्या  है?

अपन यहां बैठे हैं अपने अंदर सांस चल रहा है, इतनी गर्मी में भी अपना शरीर गरम हो रहा है हम खाना खाते हैं तो  शरीर पाचन क्रिया होती है और अपने शरीर में यह सब कौन कर रहा है ? क्या शरीर यह कार्य कर रहा है ? या दिमाग  यह कार्य कर रहा है? अपना शरीर तो एक यंत्र है और कोई भी यंत्र बिना बिजली के द्वारा नहीं चलता है| दिमाग भी आत्मा चैतन्य के प्रकाश से प्रकाशित है | बहुत बार हम देखते हैं कि आदमी अपने अंतिम समय तक काम करता है यानी उसका दिमाग जीवन के अंतिम समय तक चालू रहता है पर एक के बाद एक यह सब सिस्टम बंद होते जाते है? वह किसलिए? शरीर तो हमारा यही रह जाता है और हम कहते उसके प्राण चले गए शरीर चलाने की जीवन शक्ति को प्राण शक्ति कहते है हमारे शरीर में जो ऊर्जा के रूप में शक्ति कार्य कर रही है इसलिए इस ऊर्जा के द्वारा हम जीवित हैं वह ऊर्जा ही प्राण शक्ति है | अब तो बहुत स्वाभाविक रूप से पता चल गया होगा कि जीवन शक्ति बढ़ानी हो तो शरीर का स्वस्त होना, मन का शांत चित आनंदित होना जरूरी है यदि यह शक्ति कम हो तो शरीर अस्वस्थ होगा तो मन भी अशांत और  चिड़चिड़ा होगा | प्रणायाम यानी प्राण ऊर्जा को रीचार्ज करने की पद्धति है इस के द्वारा हमारे शरीर के सभी चक्र को एक्टिव हो जाते है| इस प्रक्रिया द्वारा प्राणायाम नाडी शोधन होता है तो शरीर स्वस्थ मन शांत और प्रफुल्लित हो जाते हैं|


ध्यान मन और शरीर की निर्विचार अवस्ता है |जब प्राणशक्ति  बढ़ती है तो ध्यान स्वत ही चालू हो जाता है | केंद्र में हम फ़िलहाल ध्यान का अभ्यास कर रहे है | ध्यान का अभ्यास यानि शरीर और  मन को जानना समझना - प्राणऊर्जा को अनुभव करने का अभ्यास |
कोई बालक जब नियमित रूप से ध्यान करता है तो उस के समझने की शक्ति बहुत बाद जाती है | पढ़ाई लिखाई में भी बहुत त्रीव रूप से आगे बढ़ जाता है और जीवन में भी हमेशा शांत चित और सही निर्णय ले सकते है | कोई व्यक्ति डिप्रेशन का शिकार हो और वो नियमित रूप से ध्यान -प्राणायाम करे तो धीरे-धीरे वो व्यक्ति सम्पूर्ण रूप से स्वस्त हो सकता है | प्राणायाम और ध्यान के रोजाना अभयास से व्यक्ति स्व-चिकत्सक बन कर खुद के सम्पूर्ण रोग दूर कर सकता है|
ध्यान का मुख्या लाभ क्या है ?  
कोई भी कार्य में आपना ध्यान हो तो उस का परिणाम केसा आएगा? और कार्य में आपन ध्यान न हो तो कैसा परिणाम आएगा ? ध्यान से पढना और बगेर ध्यान से पढना क्या सही है ? ध्यान से खाना बनाना और बेमन  खाना बनाना  क्या सही है ? ध्यान के नियमित रूप से अभ्यास करने से मन शांत हो जाता है | ध्यान के अभ्यास से आत्मविश्वास बढ़ता है | प्राणायाम और ध्यान से शरीर और मन रिलैक्स होता है और मानसिक तनाव मिट जाता है|
प्राण चिकित्सा क्या है ?
प्राण चिकित्सा यानि अस्वस्थ व्यक्ति को प्राण ऊर्जा दे कर स्वस्थ करना | कोई व्यक्ति जब बीमार पड़ता है तो उस का मुख्य करण है की शरीर की प्राण ऊर्जा घट जाये या उस के चक्र में तकलीफ हो या चक्र बंद हो और प्राण शक्ति उस चक्र तक पहुच नहीं पति | जब प्राण चिकित्सक किसी व्यक्ति को देखता है तो उसे पता चल जाता है की व्यक्ति के किस चक्र में तकलीफ है और प्राणचिकित्सक उस व्यक्ति पर प्राण ऊर्जा प्रवाहित करता है और धीरे-धीरे उस व्यक्ति का वो चक्र एक्टिव हो जाता है और वो रोग मूल रूप से मिट जाता है | कही बार जब डॉक्टर भी मना कर दे और वो व्यक्ति प्राणचिकित्सक के पास आवे तो वो व्यक्ति भी सम्पूर्ण रूप से स्वस्थ हो जाता है|

जब हमारे घर में कोई विधुत  प्रवाह वाली वास्तु लाये और उस  समय अगर बिजली न हो तो वो वास्तु कार्य नहीं करेगी | शरीर को प्राण ऊर्जा  रूपी बिजली न मिले तो शरीर भी ठीक से कार्य नहीं करेगा | जैसे की कोई भी बीमार व्यक्ति को उस के पुरे शरीर को प्राण विधुत दे तो वो सम्पूर्ण रूप से स्वस्थ हो जाता है व पुनः अपने कार्य करने लग जाता है | हम जानते है की भारतीय संस्कृति में शक्तिपात किये हुए कही संत, साधु, महात्मा अपनी विधुत शक्ति से बहुत से लोगो को रोग मुक्त  कर के स्वस्थ किया है |


प्राण क्या है ? प्राण एक तत्त्व है , एक अणु है , एक शक्ति है | प्राण विधुत शक्ति का एक गुण है | फर्क इतना है विधुत को बुद्धि नई होती और प्राण को बुद्धि होती है, वो बुद्धिशाली है, प्राण जिवंत शक्ति है | प्राण के बिना जीवन नहीं है. 

नमः शिवाय 

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